शिक्षा

तीन भाषाओं में पढ़ाने पर शिक्षिका मंजू बाला को मिलेगा पुरस्कार

लोक निर्णय,रुद्रपुर: कहते है कि यदि कुछ करने का जज्बा हो तो हर मंजिल खुद कदम चूमती है।इसी जज्बे और लगन से शिक्षिका डॉक्टर मंजू बाला ने त्रि-भाषा नवाचार से विद्यार्थियों को सहज व सरल बनाकर शिक्षा दी तो इसकी बहुत सराहना मिली। बच्चे पहले शिक्षिकाओं को बहन जी नमस्ते बोलते थे, जब अंग्रेजी की भी शिक्षा मिली तो मैडम/सर गुडमॉर्निंग बोलने लगे। हिंदी, स्थानीय भाषा के साथ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगे। इसी उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रधानाध्यापिका डा. मंजू बाला राष्ट्रपति पुरस्कार की हकदार बनीं और इन्हें राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर यह पुरस्कार दिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने उन्हें चयन किया है। उत्तराखंड से सिर्फ डॉक्टर मंजू का राष्ट्रीय पुरस्कार ले लिए चयन हुआ है।

चंपावत जिले के प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी में मई, 2005 से डॉक्टर मंजू बाला तैनात हैं। यह दुर्गम क्षेत्र में विद्यालय है, जो सड़क मार्ग से दो किमी दूर है और यहां पैदल जाना आना पड़ता है। विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए डा. मंजू गांव में किराए के कमरे में रहती हैं। विद्यार्थियों को विषय की अच्छी समझ के साथ देश विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए विद्यार्थियों को हिंदी, इंग्लिश के साथ मातृ भाषा कुमाऊंनी में पढ़ाने लगीं। डॉक्टर मंजू से लोक निर्णय के वरिष्ठ संवाददाता ने उनके मोबाइल पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि दुकान से सामान खरीदकर लाने में बच्चों को परेशानी न हो। इसलिए गणित की समझ बहुत जरूरी है।इसलिए सरल तरीके से पढ़ाती हैं। इसके अलावा हिंदी और अंग्रेजी की अच्छी समझ हो।जिससे विषय को समझ में दिक्कत न हो। इसके लिए नवाचारी गतिविधियों को अपनाती हैं। नई शिक्षा नीति में भी बहुभाषावाद को प्रोत्साहित किया गया है तो न केवल उनकी इस विधा को प्रोत्साहन मिला,बल्कि उनकी इस नेक काम से आत्मबल मिला। डा. मंजू अपने विषय की संदर्भ व्यक्ति व मास्टर ट्रेनर हैं। बताया कि वह चाहती हैं कि हर बेटी पढ़ी-लिखी हो। जिससे आत्मनिर्भर होकर प्रदेश और देश के विकास में योगदान कर सकें।

मंजू पहले भी कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं
-तीलू रौतेली पुरस्कार-2022
-शैलेश मटियानी

पुरस्कार-2021
-टीचर आफ द ईयर 2020

विद्यार्थियों का संवार रहीं भविष्य
शिक्षिका डा. मंजू बाला अंग्रेजी साहित्य, शिक्षा शास्त्र व मनोविज्ञान में एमए के साथ एमएसडब्ल्यू (मास्टर आफ सोशल वर्क) की डिग्री हैं। वह शाम को स्कूल में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों को निश्शुल्क कोचिंग पढ़ाती हैं। अतिरिक्त कक्षा संचालन के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी से लिखित अनुमति ले रखी हैं।

मंजू बाला का पिथौरागढ़ के विषाण गांव में जन्म हुआ है। शादी के कुछ वर्ष बाद से वह समाज को शिक्षित करने में जुट गईं। उनका बड़ा बेटा मोहित जोशी माइक्राेसाफ्ट में इंजीनियर और बहू डा. रिचा जोशी बाल रोग विशेषज्ञ हैं। छोटा बेटा रोहित जोशी राष्ट्रीय राइफल में मेजर हैं ।जम्मू-कश्मीर के पूंछ सेक्टर में तैनात रोहित आपरेशन सिंदूर में शामिल थे। जून, 2024 में आतंकवादियों से लोहा लेने पर गणतंत्र दिवस पर उन्हें सेना मेडल दिया गया था।

स्पर्धा में बने रहने के लिए अंग्रेजी जरूरी
शिक्षिका डॉक्टर मंजू बताती हैं कि वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं में बने रहने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी है।उच्च शिक्षा में ज्यादातर अंग्रेजी में किताबें होती हैं।दक्षिण भारत या देश के अन्य हिस्सों में जहां हिंदी कम बोली जाती हैं, वहां पर पढ़ाई या नौकरी के समय अंग्रेजी की समझ जरूरी है।वर्तमान में अंग्रेजी की मांग है।

locnirnay@gmail.com

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