जानें,कहां तैयार होगा व्हाइट टाइगर का क्लोन
रुद्रपुर: व्हाइट टाइगर एक दुर्लभ आकर्षित जानवर हैं । हर कोई इसका एक झलक पाने को बेताब रहता है।इसकी कीमत भी चार से पांच करोड़ रुपये हैं। रूस ने व्हाइट टाइगर का क्लोन तैयार करने के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सहयोग मांगा तो विवि ने तकनीकी मदद करने को राजी है।
हरित क्रांति का श्रेय लेने वाले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के रूस के विज्ञानी कायल हैं। रूस के सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी ऑफ वेटनरी साइंस और पंत विवि के बीच शैक्षणिक भ्रमण के लिए एमओयू हुआ है।इस वर्ष फरवरी में सेंट पीटर्सबर्ग विवि के विज्ञानी और छात्रों का एक दल पंत विवि में शैक्षणिक भ्रमण पर आया था।उस दौरान व्हाइट टाइगर के क्लोन तैयार करने पर वैज्ञानिक तकनीकी सहयोग करने पर चर्चा हुई थी।इसी क्रम में दल ने राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल,हरियाणा का भी भ्रमण किया था।इसकी वजह वर्तमान में पंत विवि के कुलपति डाक्टर मनमोहन सिंह चौहान के नेतृत्व में करनाल में गिर गाय का क्लोन विज्ञानियों ने तैयार किया था ।जिससे 16 मार्च,2023 को बछिया का जन्म हुआ और इसका नाम गंगा रखा गया।यह भारत में क्लोन की गई पहली गिर गाय थी। कामर्शियल और पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टिकोण से रूस ने सफेद टाइगर क्लोन तैयार करने जा रहा है। पंत विवि के कुलपति डाक्टर मनमोहन सिंह चौहान ने लोक निर्णय न्यूज से हुई बातचीत में बताया कि व्हाइट टाइगर की कीमत करीब चार से पांच करोड़ रुपये हैं। इसका क्लोन तैयार करने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी ऑफ वेटनरी साइंस के विज्ञानियों ने तकनीकी सहयोग की मांग की है।इस मामले में तकनीकी सपोर्ट किया जाएगा। बताया कि क्लोन तैयार करना जटिल प्रकिया होती है।
__
ऐसे तैयार होता है क्लोन
सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक का प्रयोग किया जाता है।इस तकनीक में एक कोशिका को नाभिक को निकाल कर केंद्ररहित अंडाणु में प्रवेश किया जाता है और विद्युत तरंग प्रवाहित कर भ्रूण तैयार किया जाता है।सफेद बाघ का क्लोन तैयार करने के लिए उन्नत तकनीक और विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है।
सबसे पहले भारत में मिला सफेद बाघ
अमेरिका, भारत सहित कई देशों के चिड़ियाघरों में सफेद बाघ है।वर्ष,1951 में मध्य प्रदेश के रीवा में पहले सफेद बाघ मिला था।कहा जाता है कि इसे रीवा क्षेत्र के महाराजा मार्तंड सिंह ने गोविंदगढ़ के पास बरगदी जंगल से पहले सफेद बाघ को पकड़ा था। इस बाघ का नाम मोहन रखा गया है।रीवा को सफेद शेरों की नगरी कहा जाता है।यहां एक व्हाइट टाइगर सफारी भी है।मध्य प्रदेश सरकार ने रीवा जिले में सफेद बाघ प्रजनन केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।इससे न केवल देश विदेश के पर्यटक आएंगे, बल्कि विविधता संरक्षण के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।




