रुद्रपुर में तालाब की भूमि पर करोड़ों का घोटाला!
रुद्रपुर। रुद्रपुर में बहुत बड़ा भूमि घोटाले का मामला सामने आया है।पूर्व सभासद रामबाबू ने गुरुवार को सिटी क्लब में पत्रकारों को बताया कि किच्छा_रुद्रपुर बाईपास रोड स्थित झील के सामने राजस्व ग्राम लमरा, खसरा संख्या 02 के मध्य 4.07 एकड़ सरकारी भूमि है, जो रोड से लगभग 25–30 फीट गहरी है। तत्कालीन नगर पालिका की ओर से सात दिसंबर 1988 को मछली पालन के लिए नीलाम की गई। नीलामी की शर्तों के अनुरूप प्रस्ताव स्वीकृति के लिए अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका रुद्रपुर ने तत्कालीन जिलाधिकारी नैनीताल के माध्यम से शासन को प्रेषित किया गया। शासन द्वारा 16 दिसंबर, 1993 को पत्र भेजकर तत्कालीन जिलाधिकारी,नैनीताल को सूचित किया गया कि उक्त भूखंड मछली पालन के लिए केवल दो वर्षों के लिए ही दिया जा सकता है। पूर्व सभासद रामबाबू ने कागजात दिखाते हुए बताया कि यदि नगर पालिका अथवा बोलीदाता दो वर्षों के लिए उक्त भूमि लेना चाहते हैं तो 15 दिन में अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित करें।मगर बोलीदाताओं ने कोई सहमति नहीं दी।इसके बाद उच्च बोलीदाताओं ने स्वयं का अवैध कब्जा दर्शाते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में रिट दायर कर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। यह स्थगन आदेश भ्रामक तथ्यों के आधार पर प्राप्त किया गया, क्योंकि जब शासन स्तर पर लीज/पट्टे की स्वीकृति हुई ही नहीं तो उनका कब्जा कैसे वैध मान लिया गया? नीलामी की शर्त क्रमांक आठ में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि लीज – डीड की कार्यवाही पूर्ण होने के बाद ही पट्टेदार को प्लॉट का कब्जा दिया जाएगा। इसके बावजूद एक व्यक्ति का नीलामी में 20 प्रतिशत का हिस्सेदार था। वह वर्ष 2005 में—नीलामी के 17 वर्ष बाद अपने अन्य चार साझेदारों से अपने पक्ष में शपथपत्र लेकर तत्कालीन सचिव, आवास विभाग के एक अधिकारी से मिलीभगत कर उक्त भूमि को अपने एंव अपने दो भाइयों और पिता के नाम पर फ्री-होल्ड करवा लिया। बाकी चार लोगों को किनारे कर दिया।पूर्व सभासद रामबाबू ने बताया कि वर्ष 2007 में, 2000 (दो हजार) के सर्किल रेट पर अवैध रूप से उक्त भूमि फ्री-होल्ड कर दी गई । इस मामले में तत्कालीन ऊधम सिंह नगर जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी (नजूल) द्बारा शासन को प्रेषित पत्र चार अप्रैल, 2006 तथा उसी वर्ष 25 नवम्बर को पत्र भेजा। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि रुद्रपुर में महायोजना लागू है। जिसमें यह भूमि “जलमग्न खुला क्षेत्र” के रूप में दर्शाई गई है।ऐसी भूमि को फ्री-होल्ड करने का कोई प्रावधान नहीं है।इसके बावजूद तत्कालीन सचिव द्वारा समस्त नियमों की अनदेखी कर तत्कालीन जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी पर अनुचित दबाव बनाकर फ्री-होल्ड की प्रक्रिया पूरी कर दी गई।
रामबाबू ने बताया कि शासन द्बारा जन शिकायतों का संज्ञान लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी जुगल किशोर पंत की निगरानी में अपर जिलाधिकारी (नजूल)जय भारत सिंह से जांच कराई गई।जांच में पाया गया कि नियम विरुद्ध पाया गया। आवेदक द्वारा तथ्यों को छुपाकर प्रश्नगत भूखण्ड को फ्री-होल्ड करवाया गया है, अनाधिकृत व्यक्ति के माध्यम से फ्रीहोल्ड के विलेख पर राजस्व ग्राम लमरा, खसरा सं. दो को काटकर ग्राम रम्पुरा, खसरा सं.156 अंकित किया गया।जिसके समर्थन में कोई शासनादेश या सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपलब्ध नहीं होने की पुष्टि करते हुए नियम विरुद्ध किए गए फ्री होल्ड विलेख को निरस्त किए जाने के सम्बंध में जांच रिपोर्ट शासन को संस्तुति सहित अग्रिम कार्रवाई हेतु प्रेषित की गई । शासन के तत्कालीन अपर सचिव ने तत्कालीन जिलाधिकारी यूएस नगर को पत्र भेज दिया। 26 और 28 नवंबर 2024 के आधार पर तात्कालीन जिलाधिकारी ने उसी दिन पिछली जांच को समाप्त कर आवेदकों और सम्बन्धित विभागीय अनापत्ति दे दी।तथा मछली तालाब की जमीन पर मॉल निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृति की रोक हटाकर अनुमोदन जारी कर दिया गया । रामबाबू ने बताया कि इस भूमि घोटाले में एक प्रभावशाली नेता और एक बिल्डर शामिल हैं। जहां लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत का बनने जा रहा है। भूखण्ड जिन लोगों के नाम से फ्री-होल्ड हुआ है वह 36 प्रतिशत के हिस्सेदार रहेंगे। नगर निगम पर सवाल उठता है कि जब नगर निगम ने खुद ही लिखित में दे रखा है कि प्रश्नगत भूखण्ड कि मूल पत्रावली नगर निगम कार्यालय में धारित नही है, तब उक्त भूखण्ड के 2739 वर्ग मीटर भाग का दाखिल खारिज कैसे और किस आधार पर कर दिया गया। इससे निगम की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।




