गुरुदत्त की आंखें दो लोगों को देंगी दृष्टि
काशीपुर। ग्राम हरियावाला निवासी गुरुदत्त बाठला का एक नवंबर की रात देहांत हो गया।इसके बाद उनके सुपुत्र श्यामलाल बाठला, राजेश बाठला और संजीव बाठला ने नेत्रदान की सहमति प्रदान कर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। गुरुदत्त बाठला के नेत्रदान से दो नेत्रहीनों के नेत्र प्रकाशित होंगे और उनके प्रिय जन उनकी स्मृति को अमरत्व प्रदान करेंगे। गुरुदत्त स्वयं समाज सेवा व धार्मिक कार्यों में संलग्न रहे और यह सराहनीय कार्य भी उनके जीवन प्रवृत्ति के अनुरूप है।वसुधैव कुटुम्बकम काशीपुर के दायित्वधारियों की उपस्थिति में रुद्रपुर से आई टीम ने कागजी औपचारिकता पूरी कर ब्रह्मलीन गुरुदत्त के शरीर से दान की गई आंख की ऊपरी परत (कॉर्निया) प्राप्त कीं।वसुधैव कुटुम्बकम् काशीपुर के सदस्य अक्षत बंसल ने बताया कि वसुधैब कुटुम्बकम् क्षेत्र के लोगों में नेत्रदान के लिए जागृति लाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि बहुत से लोग सोचते हैं कि नेत्रदान के दौरान पूरी आंख निकाल दी जाती है। जिससे आंख का सॉकेट खाली रहता है, जो सच नहीं है। सामान्यतः केवल कॉर्निया जो आंख की सबसे बाहरी परत होती है, आसानी से निकाली जाती है।नेत्रदान करने से किसी प्रकार का देह भंग नही होता। सीए सचिन अग्रवाल ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति प्रदान करने की प्रार्थना की।उन्होंने क्षेत्रवासियों से मरणोपरांत नेत्रदान कराने में सहयोग का आह्वान किया। नेत्रदान में अधिवक्ता सुनील बाठला और समाजसेवी मुकेश चावला का सक्रिय सहयोग सराहनीय रहा।





