ऊधम सिंह नगर

किसने कहा, कृषि सिर्फ आजीविका नहीं,बल्कि हमारी आत्मा

पंतनगर: राज्यपाल लेज गुरमीत सिंह ने शुक्रवार को 118वें कृषि कुम्भ किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का फीता काटकर व दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया।इस दौरान उन्होंने छह पुस्तकों का विमोचन किया और प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित किया।उन्होंने मेले में और सभी अन्नदाताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और विद्यार्थियों का अभिनंदन किया किया, जिनकी मेहनत, निष्ठा और नवाचार से कृषि क्षेत्र निरंतर नई ऊँचाइयों को छू रहा है।

आप सब सच्चे अर्थों में राष्ट्र की धमनियों में प्रवाहित उस जीवन दायिनी शक्ति के प्रतिनिधि हैं, जो भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाती है।उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा सेमीकंडक्टर लैब और निर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन भी एक ऐतिहासिक क्षण है। निश्चित ही ये दोनों ही परियोजनाएं आने वाले समय में कृषि अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी संवाद को नई दिशा देंगी। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में किसान को सृष्टि का पोषक कहा गया है। आज भी देश की लगभग आधी जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि केवल आजीविका नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, हमारी आत्मा और हमारे अस्तित्व का प्रतीक है। उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में कृषि का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व और भी अधिक है। यहां के लोग केवल खेती नहीं करते, बल्कि धरती को मां और बीज को जीवन का बीजांकुर मानते हैं।उन्होंने कहा कि श्री अन्न – अर्थात् बाजरा, मडुआ, झंगोरा, कौणी, कुटकी, रामदाना जैसी फसलें, हमारे पहाड़ों की अमूल्य धरोहर हैं। इन फसलों में पोषण है, परंपरा है और पर्यावरणीय संतुलन भी है। उन्होंने कहा कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड देश में अग्रणी बन सकता है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम बनेगा। सगंध खेती, यानी औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से पहाड़ी किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है। ग्रामीण भारत में कृषि के क्षेत्र में “ड्रोन दीदी योजना” एक ऐतिहासिक पहल है। इस योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें कृषि सेवाओं से जोड़ा जा रहा है। यह योजना न केवल कृषि में तकनीकी क्रांति ला रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण का सशक्त माध्यम भी बन रही है। ड्रोन दीदी अब नए भारत की “टेक्नो-क्रांति” और “नारी शक्ति” दोनों की प्रतीक बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि कृषि निर्यात में भी एक नई पहचान बना रहा है। यह गर्व की बात है कि आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार भी किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में ‘मुख्यमंत्री कृषि विकास योजना’, ‘जैविक खेती मिशन’, ‘मधुमक्खी पालन प्रोत्साहन योजना’, और ‘सगंध पौधा विकास कार्यक्रम’ जैसी योजनाएँ किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री जी के “विकसित भारत 2047” के संकल्प को साकार करने में उत्तराखण्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी व सांसद अजय भट्ट ने किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी आयोजन के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय को बधाईयां दी। उन्होंने कहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज 89 देशों को खाद्ययान निर्यात कर रहे है, यह किसान बंधुओ व वैज्ञानिकों के मेहनत का नतीजा है।कुलपति डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान ने कहा में किसान मेले में 503 स्टाल लगाए गए हैं।इस मौके पर रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा,पूर्व विधायक राजेश, सीजीएम फार्म डॉक्टर जयंत सिंह आदि मौजूद थे।

locnirnay@gmail.com

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