जानें,प्रदूषण से कैसे और बिगड़ सकती है डिमेंशिया व अल्ज़ाइमर की स्थिति
काशीपुर: दिल्ली की ज़हरीली हवा न सिर्फ फेफड़ों को घोंट रही, बल्कि दिमाग़ पर भी असर डाल रही है। दिल्ली में महीन कणों (पीएम2.5) का स्तर बताता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से कई गुना ज़्यादा है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि शहर की तेज़ी से बढ़ती बुजुर्ग आबादी को डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर का ख़तरा बढ़ सकता है।

मेडक्लिक्स हॉस्पिटल काशीपुर के जाने माने वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर विशाल शर्मा ने जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजी (जेएएमए न्यूरोलॉजी) में प्रकाशित एक लेख का हवाला देते हुए बताया कि अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय तक पीएम 2.5 के संपर्क में रहने से न केवल डिमेंशिया का ख़तरा बढ़ता है, बल्कि बीमारी और गंभीर हो सकती है। डॉक्टर शर्मा ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के शोधकर्ताओं के वर्ष,1999 से 2022 तक के 602 ब्रेन ऑटोप्सी (मरणोपरांत मस्तिष्क परीक्षण) के अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि जिन लोगों को प्रदूषण का ज़्यादा असर झेलना पड़ा, वे गंभीर अल्ज़ाइमर संबंधी मस्तिष्क क्षति से ग्रस्त पाए गए थे।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- लंबे समय तक पीएम2.5 का असर डिमेंशिया की गंभीरता बढ़ाता है, केवल जोखिम ही नहीं।
- प्रदूषण से होने वाले 63 प्रतिशत संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) नुकसान की वजह अल्ज़ाइमर से जुड़ा मस्तिष्क क्षरण (एडीएनसी) पाई गई।
3. डिमेंशिया पीड़ित रोगियों में ज़्यादातर प्रदूषण के संपर्क में आने से मानसिक क्षमता पर प्रभावित हुई
कैसे करें बचाव
- ज्यादा वायु प्रदूषित होने पर बाहर निकलने से बचें।
- एन 95/एफएफपी2 मास्क लगाकर घर से निकलें
- एचईपीए फ़िल्टर का प्रयोग करें।
- वेंटिलेशन तभी करे, जब वायु कम प्रदूषित हों।
5. बाहर की हवा घर में अंदर आने से रोकें।
मेडक्लिक्स हॉस्पिटल काशीपुर के जाने माने वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर विशाल शर्मा ने प्रकाशित कुछ आलेखों का जिक्र करते स्वस्थ रहने के टिप्स दिए।
- बीपी, डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल, दिल की धड़कन को नियंत्रित करें
- लोगों से मिलजुल रहें
- अच्छी नींद, संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और रोजाना व्यायाम करें
अचानक व्यवहार, नींद या याददाश्त की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
मेडक्लिक्स हॉस्पिटल काशीपुर के जाने माने वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर विशाल शर्मा बताते है कि वर्ष,2050 तक दुनियाभर में डिमेंशिया के मामले तीन गुना तक बढ़ सकते हैं। यह आंकड़े दिल्ली और उत्तर भारत के लिए एक “वे़क-अप कॉल” है, क्योंकि वायु प्रदूषण अब दिमाग़ी स्वास्थ्य का भी बड़ा ख़तरा बन रहा है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड भी आता है





