खेती/किसानी

कृषि: ऐसे बचाएं धान की फसल

लोक निर्णय:पंतनगर:उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में मानसून के मौसम में धान की फसल में उचित जल प्रबन्धन, खरपतवार, यंत्रण, रोग एवं कीट प्रबन्धन उपज को प्रभावित करता है।इसलिए किसान भाई फसल बचाने के लिए सावधानी बरतें। किसान भाई खेतों से पानी का उचित निकासी का प्रबन्ध करें।अत्यधिक पानी जमा होने से पौधों को नुकसान होता है । जैसे – जड़ो को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाता है। पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी वृद्धि रूक जाती है, जलभराव से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व घुल जाते है। पानी के साथ बह जाते है, पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। रोगों और कीटों से नुकसान बढ़ जाता है। खरपतवारों का अत्यधिक बढ़वार होने लगता है। जिससे उपज में कमी आती है। इसलिए पहली निराई समय से पूरी कर लें। यूरिया, नाइट्रोजन का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला स्त्रोत है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि टॉप ड्रेसिंग के दौरान खेत से पानी निकाल दें, यदि आवश्यक हो तो 24 घंटे के बाद ही खेत में पानी भरें । लगातार नमी और जलभराव के कारण धान में कई तरह के फफूंदी रोग जैस-ब्लाइट, शीघ्र ब्लाइट, बैक्टीरियल ब्लाइट का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके लिए उचित फफूंदनाशी रसायनों का छिड़काव करें। लगातार नमी और जल भराव के कारण तना छेदक, तेलाकीट, पत्ती लपेटक, हिस्पा आदि का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके लिए उचित कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।

डा. अजय प्रभाकर
सहायक प्राध्यापक, कृषि विज्ञान केंद्र,काशीपुर यूएस नगर

locnirnay@gmail.com

locnirnay@gmail.com

About Author