मछली के आशियाने की जमीन पर बनने जा रहे माल पर हाईकोर्ट की रोक
रुद्रपुर। किच्छा बाईपास रोड रुद्रपुर के राजस्व ग्राम लमरा।स्थित 4.07 एकड़ यानी 16.500 वर्ग मीटर सरकारी मछली तालाब की भूमि पर हाईकोर्ट की रोक लग गई है। माल बनाने के खेल में लगे लोगों में खलबली मची है।पूर्व सभासद रामबाबू ने आज सिटी क्लब में पत्रकारों को बताया कि यह भूमि बैगुल नदी की जद में आती है। रुद्रपुर की महायोजना में “जलमग्न खुला क्षेत्र” के रूप में दर्ज है। ऐसी भूमि का फ्री-होल्ड या वाणिज्यिक उपयोग कानूनन प्रतिबंधित है। बताया कि सात दिसंबर 1988 में इस तालाब में मछली पालन के लिए नीलामी हुई तो पांच लोगों ने मिलकर 3,07,000 रुपये की बोली लगाई और एक चौथाई धनराशि जमा भी कर दी थी।लेकिन शासन ने निर्देश दिए कि यह भूमि सिर्फ दो वर्षों के लिए ही लीज एवं पट्टे पर दी जा सकती है।नीलामी की शर्त आठ के तहत लीज-डीड स्वीकृति के बिना किसी को कब्ज़ा नहीं दिया जा सकता। इसलिए बोलीदाता कभी वैध पट्टेदार नहीं बने।इसके बावजूद बोलीदाताओं ने भ्रामक तथ्यों पर वर्ष, 1995 में हाईकोर्ट इलाहाबाद की बेंच लखनऊ से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। जबकि भूमि आज भी मौके पर खाली है। वर्ष, 2005 में नीलामी के 17 वर्ष बाद, बोलीदाता महेन्द्र छाबड़ा ने अन्य चार बोली दाताओं से अपने पक्ष में शपथपत्र लिए और तत्कालीन सचिव आवास विभाग से असंवैधानिक शासनादेश जारी कराए गए।जिनके आधार पर वर्ष- 2007 में वर्ष-2000 के सर्किल रेट पर भूमि को अवैध रूप से फ्री-होल्ड कर दिया गया।जो नियम विरुद्ध है।क्योंकि सचिव द्वारा नियम विरुद्ध सहर्ष स्वीकृति राजस्व ग्राम लमरा के खसरा संख्या-02,के संदर्भ में दी गई थी,जो पहले ही पुनर्वास विभाग को स्थानांतरित हो चुकी थी। इसलिए वह जमीन नियमों के अनुसार फ्री-होल्ड की श्रेणी में नहीं आती। इसके बावजूद आवेदकों द्वारा वास्तविक तथ्यों को छुपाते हुए राजस्व ग्राम लमरा के खसरा संख्या-02, की भूमि को अपने पक्ष में फ्री होल्ड करवा ली गई।जिस के बाद फ्री-होल्ड विलेख में किसी बाहरी व्यक्ति के माध्यम से आवेदकों द्वारा राजस्व ग्राम लमरा, खसरा नंबर 2 को काटकर किसी अन्य राजस्व ग्राम (रम्पुरा) व खसरा संख्या-156 को अंकित कर दिया गया। रामबाबू ने बताया कि वर्ष,2023 में जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत पत्र भेजे थे।जिस पर शासन ने तत्कालीन जिलाधिकारी जुगल किशोर पंत व अपर जिलाधिकारी (नजूल) जय भारत सिंह के माध्यम से इस भूमि घोटाले की जांच करवाई गई तो जांच में पाया गया कि तत्कालीन एडीएम की रिपोर्ट में फ्री-होल्ड विलेख में ग्राम लमरा, खसरा 02 को काटकर अवैध रूप से ग्राम रम्पुरा, खसरा 156 को अंकित किया गया।फर्जीवाड़े का कोई शासनादेश फ़ाइल में उपलब्ध ही नहीं है।आवेदक द्वारा तथ्यों को छिपाकर तालाब की भूमि को नियम विरुद्ध फ्री-होल्ड करवा ली गई है, जो पूर्णतः अवैध है।तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा शासन को प्रेषित जांच रिपोर्ट में फ्री-होल्ड विलेख को तत्काल निरस्त करने की स्पष्ट संस्तुति प्रेरित की गई है।रामबाबू ने बताया कि बिल्डर और कुछ नेता ने सांठगांठ कर नवम्बर 2024 में जांच रिपोर्ट निरस्त करा ली।साथ ही विभागीय अनापत्ति भी ले लिया।जिससे मॉल निर्माण पर लगी रोक हटा दी गई और उसी उसी दिन मानचित्र स्वीकृत भी प्रदान कर दी गई। बताया कि करीबी उद्योगपति के नाम रजिस्ट्री करवा दी।जिसे नगर निगम रुद्रपुर ने मूल फाइल गायब होने के बावजूद दाखिल-खारिज कर दिया।रामबाबू ने बताया कि शिकायतों पर कार्रवाई नहीं पर उन्होंने उच्च न्यायालय उत्तराखंड, नैनीताल में सात नवंबर को जनहित याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर को सुनवाई करते हुए तालाब की भूमि की खरीद-फरोख्त एवं मॉल के निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए भूमि पर ‘यथास्थिति’ बनाए रखने के आदेश पारित किए गए हैं। बताया कि वह सरकार की संपत्ति बचाने के लिए हाईकोर्ट का सहारा लिया।




