भगवत कथा में क्या बोल गए स्वामी अमृतानंद
काशीपुर। गौतम नगर स्थि विश्नोई सभा में विश्नोई समाज की ओर से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रविवार को हरिद्वार के महान संत महंत स्वामी श्री प्रणवानन्द महाराज के सानिध्य में कथा व्यास आचार्य अमृतानन्द महाराज ने दुनिया में मां को ऐसा प्राणी बताया है ।जिससे प्रेरणा लेकर बच्चों में संस्कार आते हैं। मां के संस्कारों से ही बच्चा विवेकानंद महाराणा प्रताप आदि महान व्यक्तित्व को धारण कर सकता है। स्वामी आचार्य गोविंद शरणानंद ने मां कुंती का उदाहरण देते हुए बताया कि दुखों से घबराना नहीं चाहिए।दुख हमारे जीवन का ही अंग है। इनकी परवाह किए बगैर अपने कर्तव्य को कर्तव्यों का निर्वहन करते रहना है बाकी सब ईश्वर इच्छा मानकर स्वीकार करना होगा । आचार्य विश्व विश्वआत्मानंद ने कहा कि संसार तो सत्य है। यह मनुष्य को पता है, लेकिन हमारे देखने को नजरिया नहीं बदलता है। हम कथा के माध्यम से अपना नजर बदल सकते हैंहरिद्वार से पधारे महंत स्वामी प्रवणानंद महाराज ने कहा कि हमें बहुत सुंदर जीवन मिला है। इस जीवन की प्रत्येक सांस में हमारे राष्ट्रभक्ति होनी चाहिए। हमारा जीवन हमारा जीने का तरीका हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रभक्त होनी चाहिए।ईश्वर भक्ति होनी चाहिए। पंजाब से पधारे संत सागरआनंद एवं हरिद्वार से पधारे स्वामी उपदेश आनंद ने कथा सुनने के लाभ बताते हुए कथा को जीवन कल्याण का माध्यम बताया। इस दौरान विश्नोई सभा अध्यक्ष राजवीर सिंह रामकुमार , सतीश विश्नोई,तक्षराज विश्नोई, जसवीर विश्नोई, संजीव कुमार, दीक्षित कुमार, पूर्ण विश्नोई,विशंभर सिंह,रामराज विश्नोई, जितेंद्र वि, राजीव वि, राघवेंद्र बिश्नोई, मनोज कुमार यादव, अर्पित टंडन, रोहतास, सतीश कुमार, राजकुमार चौधरी, प्रदीप कुमार निगम शर्मा आदि मौजूद थे।




