जानें,बड़ी दीवाली आज या कल
रुद्रपुर: डॉक्टर हेमंत सिंह चौहान का कहना है कि जिसे हम छोटी दिवाली कहते है, वहीं बड़ी दीवाली है।उन्होंने श्रीराम चरितमानस के उत्तरकांड की “रिपु रन जीति सुजस सुर गावत। सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥ की चौपाई का हवाला देते हुए बताया कि कार्तिक मास अमावस्या को प्रभु राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करके वापस अयोध्या आए तो
यह खबर अयोध्यावासियों के लिए हर्ष और उल्लास से भरी थी। भाई भरत की खुशी का ठिकाना न था। आज अयोध्या नगर का कोना कोना प्रफुल्लित था। इस खुशी में नगरवासियों ने घी के दिए जलाए। डॉक्टर चौहान ने बताया कि चूंकि प्रभु राम लंका से पुष्पक विमान से अयोध्या आए थे और आते आते उनको शाम हो गई ।सूरज लगभग अस्त होने को थे, ऐसे में खुशियां मनाने के लिए कोई ज्यादा कुछ संसाधन नहीं थे तो सभी ने अपने अपने घरों में विभिन्न प्रमुख स्थानों पर, दहलीज पर और गोधन के ढेर पर घी के दिए जलाए। अगले दिन फिर दीपोत्सव मनाया गया, पूरी अयोध्या जगमगा रही थी। जिसे आज हम दीपावली की तरह मनाते हैं। चूंकि अयोध्या में भी सीता हरण और लक्ष्मण जी को शक्ति लगने का, रावण से महायुद्ध का संदेश पहुंच चुका था। सभी राम की कुशलता की चिंता थी। राम जैसे राजा की कामना अयोध्या वासियों के हृदय में चौदह वर्षों से दबी हुई थी। चूंकि राम सकुशल आए हैं तो राजा भी राम ही होंगे।राम आगमन किसी त्यौहार से कम नहीं था। जिस दिन राम आए वो बड़ी दीपावली और अगले दिन छोटी दीपावली मनाई जाने लगी। अयोध्या में आज भी पहले बड़ी दीपावली फिर छोटी दीपावली मनाई जाती है।
मैने अपनी अयोध्या की दीपावली में अनुभव किया कि जिस दिन राम का आगमन हुआ यानी बड़ी दीपावली उस दिन संतों, महंतो, मंदिरों में रामधुन रमी रहती है और अगले दिन दीपोत्सव मनाते हैं। उपरोक्त दोहा रामचरित मानस से जिसमें तुलसीदास जी बता रहे हैं शत्रु को युद्ध में पराजित करके माता सीता और अनुज लक्ष्मण साथ अयोध्या आ रहे हैं और देवता लोग सुमन वृष्टि कर रहे हैं।




