आरएसएस शताब्दी वर्ष की यात्रा
रुद्रपुर: वर्ष 1920 तक लगभग तय हो गया था कि भारत को स्वतंत्र करने का विचार ब्रिटिश शासन कर चुका था। भविष्य में शासन कैसे चलाया जाए (स्वराज और स्वाधीनता) यानी संयुक्त भारत या हिन्दुस्तान और पाकिस्तान। 1925 आते आते भारत का लगभग हरेक प्रांत साम्प्रदायिक दंगों से घिर चुका था। केरल का दंगा सबसे ज्यादा दुःखद समाचार लेकर आया। डॉक्टर अंबेडकर की पुस्तक ( पार्टीशन ऑफ इंडिया- पाकिस्तान) को पढ़ें तो समझ आता है कि कांग्रेस की ढुलमुल नीतियों के कारण हिन्दू समाज दोराहे पर खड़ा था। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को अनुभव हुआ कि भारत की आज़ादी तो निश्चित हैं।लेकिन माहौल को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जन्म हुआ।
आरएसएस की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की। कुछ स्वयंसेवकों की शाखा शुरू की गई। शाखाओं में व्यायाम, खेल, अनुशासन , हिन्दू संगठन , छुआछुत मिटाना, देशभक्ति के गीत-संस्कार सिखाए जाते थे। डॉ.केशव हेडगेवार को प्रथम सरसंघचालक बनाया गया। 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में गांधी की हत्या हो गई और संघ पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया। बाद में प्रतिबंध हटा दिया गया, प्रतिबंध हटने की मुख्य वज़ह कई मामलों में संघ के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमों में कोर्ट में दोष सिद्ध नहीं हो पाया। वर्ष 1962 में चीन भारत के बीच युद्ध हुआ उसमे सैनिकों की रसद और अन्य सामानों को युद्ध भूमि तक पहुंचाने में स्वयंसेवकों की मुख्य भूमिका रही। 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के समय में भी स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिससे प्रभावित हो कर उस समय के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1965) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 1966) की परेड में पहली बार हिस्सा लेने का निर्णय लिया। 1952 से 1960 तक कई अनुषांगिक संगठनों के रूप मे संघ का विस्तार किया। इसके साथ ही शाखाओं में व्यक्ति निर्माण का कार्य करना और उसके बाद स्वयंसेवक की रुचि के आनुसार उन्हें अन्य आनुषंगिक संगठनों में भेजना शुरू किया ( सेवा, शिक्षा, राजनीति )। 25 जून 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया। उसी रात संघ पर पुनः प्रतिबंध लगा दिया गया। हज़ारों स्वयंसेवक के साथ बालासाहेब देवरस को भी जेल में डाल दिया गया। आपातकाल के खिलाफ़ जनांदोलन में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 21 माह बाद मार्च, 1977 को प्रतिबंध हटा लिया गया। 1980 को एक और आनुषांगिक संगठन बना – बीजेपी जो पूर्णतया राजनीतिक संगठन बनाया गया। वर्ष, 1984–92 तक अयोध्या आंदोलन में संघ परिवार की अहम भूमिका रही राममंदिर विवाद के चलते 1992 में संघ पर पुनः आंशिक प्रतिबंध लगाए गए, जो अदालत में टिक नहीं सका। उसे तुरंत 1993 में ही हटा लिया गया।





