केंद्र सरकार ने लद्दाख वासियों से छल किया, लोग परेशान, सोनम वांगचुक 35 दिन भूख हड़ताल करेंगे, प्रदर्शन होगा तीव्र, जानिए क्या हैं मांगें ?
श्रीनगर, 10 सितंबर 2025। भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार लगातार लोगों के साथ छल कर उन्हें परेशान कर रही है। इसके खिलाफ देश भर में लोग आंदोलनरत हैं। लंबे आंदोलनों, मिले आश्वासनों के बाद लद्दाख के लोगों की एक बात भी सरकार ने नहीं मानी। अब लद्दाख के लोगों का सब्र फिर से टूट रहा है और वे एक व्यापक आंदोलन प्रारंभ करने वाले हैं। पर्यावरण, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बाडी ने घोषणा की है कि वे लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराने और राज्य का दर्जा देने की अपनी मांगों को लेकर लेह में 35 दिन की भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं। एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा के बाद पत्रकार वार्ता में जलवायु कार्यकर्ता, शिक्षाविद और ‘रेमन मैग्सेसे’ पुरस्कार विजेता वांगचुक ने कहा कि उन्होंने एक और अनशन शुरू करने का निर्णय लिया है क्योंकि उनकी मांगों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दो महीने से कोई बैठक नहीं बुलाई है।
वांगचुक ने कहा कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वह अपना प्रदर्शन तेज करने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा, करीब दो महीने पहले केंद्र सरकार के साथ बातचीत रुक गई थी। जैसे ही बातचीत इस मोड़ पर पहुंचने वाली थी जहां मुख्य मांगों पर चर्चा शुरू होती, सरकार ने आगे कोई बैठक नहीं बुलाई। लेह में ‘हिल काउंसिल’ के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं और उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को यह याद दिलाया कि पिछले काउंसिल चुनाव में उसने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने का वादा किया था।
केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही लद्दाख के लोग अपनी जमीन, रोजगार, संस्कृति, जलवायु और पहचान को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। पूर्ण राज्य और संविधान की छठीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर केंद्र से वार्ता जरूर हुईं लेकिन इसे लेकर टालमटोल ही किया गया। अगस्त 2021 में लेह और करगिल के लोगों ने मिलकर संघर्ष करने का फैसला लिया। फिर कोर कमेटी का गठन किया गया, जो दोनों प्रमुख मांगों को लेकर संघर्ष तेज कर चुकी है।




