ऊधम सिंह नगर

पंत विवि में हो रहीं आत्महत्या की घटनाओं से लोग सहमे

पंतनगर। हरित क्रांति का श्रेय लेने वाला गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कभी देश भर को आशा और उत्साह देता था।यह शिक्षा का मंदिर है और यहां के विद्यार्थी देश विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर विवि का गौरव बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ ही दिनों में पंतनगर में तीन आत्महत्या की घटनाओं से विवि दहल गया है।इसे लेकर तरह तरह की चर्चाएं होने लगी हैं।किच्छा के बहुत गरीब परिवार का होनहार छात्र ने इंजीनियरिंग की कठिन प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर इसी सेमेस्टर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पंतनगर में प्रवेश पाया।कुछ दिन पहले अपने छात्रावास के कमरे में वह गंदे पर झूल गया। हताश मां-बाप अपने आशा के एकमात्र चिराग को मिटा देख कर फूट-फूट कर रोते रहे और पंतनगर को कोसते रहे की विश्वविद्यालय ने उनका बेटा छीन लिया। किच्छा विधायक तिलकराज बेहड़ ने जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया को ज्ञापन देकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।बताया गया कि छात्र अंग्रेजी में कमजोर था । प्रश्न यह उठता है की हिन्दी माध्यम से पढ़कर जब बच्चा अपनी प्रतिभा से पंतनगर के इंजीनियरिंग कॉलेज तक पहुंच गया तो पंतनगर में ऐसा क्या हुआ कि वह अपने सारे जीवन की लड़ाई ऐसे ही हार गया। जब विवि के विभाग के शिक्षकों को पता था तो छात्र का उत्साह करते हुए ज्यादा मदद करनी चाहिए।गरीब मां-बाप की उम्मीद को छोड़ इस हद तक हताश हो गया कि उसने आत्महत्या का कदम उठा लिया। वह भी पंतनगर के अपने मात्र एक माह के उद्देश्य के समय में । विवि प्रशासन ने मामले की एक कमेटी तो बना दी,मगर अभी तक इस मामले में क्या हुआ,अभी तक पता नहीं।केवल हिन्दी माध्यम के कारण कोई मेधावी छात्र आत्महत्या कर बैठा और विश्वविद्यालय ने इसे केवल सामान्य कानून-व्यवस्था का मामला मान लिया। इस घटना के कुछ ही दिन बाद युवा ठेकाकर्मी अजीज अहमद 26 अक्टूबर को पंतनगर परिसर के अपने सरकारी कमरे में फन्दे से झूल गया। विश्वविद्यालय ने तो इस घटना का संज्ञान तक लेने की जरूरत नहीं समझी। अब 29 अक्टूबर को तीसरी आत्महत्या की घटना घट गयी। जब विश्वविद्यालय के सरकारी आवास में करीब 18 वर्षीय युवती ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। एक के बाद एक आत्महत्या से पूरा विश्वविद्यालय परिसर सहमा है
लोग चर्चा कर रहे हैं कि “आखिर ये हो क्या रहा है?”आत्महत्या की क्यों घटनाएं हो रही हैं, विवि यह क्यों नहीं सोच रहा है कि भविष्य में ऐसी घटना न हो।आत्महत्या की घटनाओं से विवि की छवि धूमिल हो रही है।इसके बावजूद विश्वविद्यालय गंभीर नहीं दिख रहा है।इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए किसी कारगर कदम उठाने की सोच भी नहीं रहा है। लोग पूछ रहे हैं – “क्या कभी पूरे देश को विश्वास देने वाला पंतनगर अपने परिसरवासियों को भी उत्साहित नहीं रख पा रहा?।आखिर विवि कब चिंतन करेगा?

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