जानें, कैसे वायरल से बचें
वायरस से बचाव के लिए प्रतिरोध क्षमता बढ़ाएं।
रुद्रपुर: मौसम में आए अचानक बदलाव से विषाणु जनित बीमारियां बहुत तेजी से फैल रही हैं।वायरल बुखार और आई फ्लू के रोगी अचानक बढ़ गए हैं। ये बीमारियां एक से दूसरे में संक्रमण करती हैं। स्कूलों में बच्चे साथ रहते हैं, हॉस्टल्स में जहां लोग साथ रहते हैं वहां तेजी से इन बीमारियों का फ़ैलाव होता है। पूर्व जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉक्टर आशुतोष पंत ने बताया कि हल्द्वानी में दृष्टिबाधित बच्चों का आश्रम (एनएबी) है। शुक्रवार को बच्चों का परीक्षण किया तो 57 बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित मिले। बच्चों को औषधियां दे दी गई हैं।
सामान्यतः वायरस जनित बीमारियां पांच _सात दिन में खुद ही ठीक हो जाती हैं ।बशर्ते कि कुछ चीजों का परहेज किया जाएं। ठंडी चीजें, फ्रिज का पानी या कोल्ड ड्रिंक्स, दही, गरिष्ठ चीजें नहीं खानी चाहिए। हल्का सुपाच्य भोजन लें। तेज बुखार हो तो पानी की पट्टी माथे पर रखें। प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए ताजे फलों का सेवन करें। अदरक, लौंग, कालीमिर्च, तेजपत्ता, गिलोय का काढ़ा बनाकर सुबह शाम पीएं ।इससे बहुत लाभ मिलता है। गले में दर्द हो तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करें।आई फ्लू हो तो काला चश्मा लगाएं ताकि तेज रोशनी से बचा जा सके। आंखों को नियमित अंतराल पर साफ पानी से धोएं। आंखों को न मलें, हाथों को साफ करते रहें। आयुर्वेदिक और एलोपैथिक आई ड्रॉप्स आती हैं, जिन्हें चिकित्सक की सलाह लेकर डालें। तेज दर्द और बेचैनी हो तो दर्द निवारक दवा लेनी पड़ सकती है।वायरल बुखार में एलोपैथिक चिकित्सा में पैरासिटामोल दिया जाता है। जोड़ों में दर्द होने पर दर्दनिवारक देते हैं। ज्यादा तकलीफ हो तो चिकित्सालय में जांच कराकर परामर्श लेना चाहिए।
आयुर्वेदिक दवाओं में लक्ष्मी विलास रस, गोदंती भस्म, सितोपलादि चूर्ण आदि बहुत सी प्रभावी दवाएं हैं जिन्हें चिकित्सक की सलाह से लेकर ठीक हो सकते हैं।
विषाणु जनित रोगों से बचने के लिए प्रतिरोध क्षमता का बड़ा महत्व है।




