जानें, किस शिक्षक ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से डाल दीं सामाजिक क्रांति की नींव
अल्मोड़ा:सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं,बल्कि राष्ट्र निर्माण की भी तालीम देने वाले जनराष्ट्रीय कल्याण मनकोटी ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की धनराशि से एक अभिनव शिक्षा केंद्र की स्थापना कर दी। जहां से शिक्षा से सामाजिक क्रांति की रोशनी फैल रही है। इससे युवा जज्बे के साथ समाज की बेहतरी के लिए उत्साहित हैं।जिसकी हर वर्ग के लोग सराहना कर रहे हैं।
शिक्षा और सामाजिक नवाचार में उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष, 2016 में राष्ट्रपति के हाथों मनकोटी ने राष्ट्रीय शिक्षक का पुरस्कार प्राप्त किया था ।यह सम्मान उनके कार्यों की परिणति नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत सिद्ध हुआ।शिक्षक मनकोटी की को अपने पिता केशर सिंह मनकोटी से प्रेरणा मिली, जिन्हें वर्ष,2001 में शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिला था। अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए कल्याण मनकोटी ने वर्ष,1997 में एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पद पर ज्वाइनिंग की। वर्तमान में वह राजकीय जूनियर हाईस्कूल, चनोली में नवाचार आधारित शिक्षा को मूर्त रूप दे रहे हैं।उनके अथक प्रयासों से विद्यालय को वर्ष, 2015 में राज्य स्तरीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार मिला था।मनकोटी बताते हैं कि राष्ट्रीय पुरस्कार की राशि और लोगों के सहयोग से अपने आवासीय परिसर में अभिनव शिक्षण केंद्र की स्थापना की। यह न केवल एक अध्ययन केंद्र है, बल्कि शिक्षा को जीवन कौशल और सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने वाला आंदोलन बन चुका है। जिससे लोग प्रेरित होकर जुड़ रहे हैं।21वीं सदी के कौशल के साथ कुमाऊंनी लोककला, संगीत, भाषा और विरासत को जीवंत बनाए रखने के लिए प्रशिक्षण और अभ्यास की सुविधा है। केंद्र में पुस्तकालय, आर्ट स्टूडियो, सांस्कृतिक मंच, और हेरिटेज वॉक जैसी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।
भाषा, पहचान और शोध का संगम
सीबीसी अल्मोड़ा में कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिससे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के भाषा संस्थान के 30 शोधार्थियों ने सीबीसी में कुमाऊंनी भाषा पर फील्ड रिसर्च किया। स्थानीय बच्चों के साथ मिलकर पूर्णतया कुमाऊंनी भाषा में संवाद कार्यक्रम किए। इससे बच्चों में अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और आत्मविश्वास पैदा हुआ है। यहां सांस्कृतिक, नशा उन्मूलन जैसे आदि कार्यक्रम में विद्यार्थी अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
पर्यटन विभाग के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित नेचर गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया गया,जो धरोहर स्थलों का मार्गदर्शन कर आत्मनिर्भर हो गए हैं। खास बात है कि सीबीसी की सदस्यता के लिए नशामुक्त जीवन शैली और नशा उन्मूलन अभियान में सक्रिय भागीदारी करने और कुमाऊंनी भाषा में संवाद करना जरूरी है। इसी का नतीजा है कि युवा बेहिचक कुमाऊंनी भाषा में बात करते हैं।
हर रविवार को केंद्र में किसी नए विषय पर विशेषज्ञों के साथ संवाद और विमर्श होता है।
__
रचनात्मक नेतृत्व और सामाजिक चेतना
केंद्र से जुड़े युवा विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं। सोनी मेहता, भास्कर भौर्याल, रितुराज, अपर्णा पनेरू, योगेश भण्डारी, नमिता शर्मा, पियूष पांडे और भूपेन्द्र कुमार जैसे युवा केंद्र के विभिन्न विभागों का नेतृत्व कर रहे हैं।सभी युवा स्कूलों और समुदायों में जाकर नुक्कड़ नाटकों, चेतना गीतों, पौधारोपण जन जागरूकता अभियान के ज़रिये सामाजिक चेतना का संचार कर रहे हैं।




