ऊधम सिंह नगर

एक्सक्लूसिव खबर: मोमबत्ती की रोशनी में भविष्य तलाश रहे पंत विवि के छात्र

लोक निर्णय न्यूज की एक्सक्लूसिव खबर

पंतनगर:विश्व क्यूएस रैंकिंग में गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है।देश का यह न केवल पहला कृषि विवि है,बल्कि हरित क्रांति जन्म स्थली भी है।मगर हैरानी है कि यदि हॉस्टल में बिजली गुल हो जाए तो इसकी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।जिससे विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।हालांकि विवि के कुलपति ने भी माना है कि हॉस्टल में बिजली गुल होने पर विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।इससे निजात दिलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सोलर एनर्जी का प्रयोग किया जाएगा।इसके लिए एक कमेटी भी बनाई गई है।
पंत विवि आवासीय विवि है। यहां पर करीब चार हजार विद्यार्थी छात्रावासों में रहते हैं। ऊर्जा निगम की ओर से किसी कारणवस कमरों में बिजली गुल हो गई तो किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था है ही नहीं । ऐसे में भीषण गर्मी में अथवा रात के अंधेरे में बिजली जाने पर विद्यार्थी अंधेरे में रहने को मजबूर होते हैं। खास कर परीक्षाओं के समय जब रात को बिजली गुल हो जाती है तो काफी परेशानी होती है।कुछ समय तक बिजली का इंतजार करते हैं।जब बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पाती है तो कुछ विद्यार्थी मोबाइल की रोशनी में ही पढ़ने की कोशिश करते हैं । विवि में चर्चा है कि जहां विश्व क्यूएस रैंकिंग में आने की बात करता है,मगर वहीं एक भी छात्रावास में वैकल्पिक ऊर्जा जैसे सोलर सिस्टम आदि की कोई कारगर सुविधा नहीं है जबकि दुनिया वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में रोज नए कीर्तिमान बना रही है जो विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए बड़ी चिंता की बात है । कुछ छात्रावासों में कॉमन रूम में इन्वर्टर लगे हैं, मगर सैंकड़ों छात्रों के कमरे में कोई व्यवस्था न होने से कॉमन रूम की टिमटिमाती बिजली किसी समस्या का समाधान है ही नहीं।तेज हवा या मूसलधार बारिश के दौरान विवि परिसर में बिजली चली जाती है। कुछ दिनों से तो रोज़ कई-कई घण्टे बिजली काटना आम बात हो गई है ।विवि के छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉक्टर आनंद सिंह जीना का कहना है कि विवि में 24 हॉस्टल हैं।इन सभी में सोलर सिस्टम लगे हैं।जिन हॉस्टल के बैटरी डिस्चार्ज होगी, वहां दिक्कत हो सकती है। कुलपति डाक्टर मनमोहन सिंह चौहान ने मंगलवार को लोक निर्णय न्यूज से बातचीत में बताया कि बिजली गुल होने पर विद्यार्थियों को थोड़ी परेशानी होती है।कुछ स्थानों पर सोलर सिस्टम लगा है। विवि परिसर को सोलर ऊर्जा की बिजली से संतृप्त करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है।अगले छह से सात माह में परिसर में पूरी तरह सोलर ऊर्जा से बिजली की आपूर्ति कराने का प्रयास है।इस पर करीब आठ से 10 करोड़ रु खर्च होने का अनुमान है। उत्तराखंड के नियम के तहत सोलर सिस्टम लगाया जायेगा।कमेटी पता कर रही है कि जिस भी कंपनी का सोलर सिस्टम लगाया जाएं तो नियम के दायरे में हों।

locnirnay@gmail.com

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