वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने को क्या बोले चंपावत के डीएम
चंपावत: जिलाधिकारी मनीष कुमार ने गुरुवार को जिला कार्यालय सभागार में जिला स्तरीय पुनरीक्षण समन्वय समिति एवं जिला सलाहकार समिति की बैठक ली। उन्होंने वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने, ऋण जमा अनुपात (सीडी रेशियो) में सुधार, ऋण वितरण की प्रगति, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर विस्तृत चर्चा की गई। बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की भूमिका, वित्तीय साक्षरता, कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में ऋण प्रवाह, केंद्र व राज्य सरकार की योजनाएं, एनपीए, कौशल विकास मिशन तथा प्री-पीएलपी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विमर्श हुआ।वित्तीय वर्ष, 2025-26 में जनपद का सीडी रेशियो 37.41 प्रतिशत रहा है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित 40 प्रतिशत के न्यूनतम लक्ष्य से कम है। इस पर जिलाधिकारी मनीष कुमार ने उन बैंकों को कड़े निर्देश दिए जिनकी उपलब्धि 40 प्रतिशत से कम है कि वे ऋण वितरण में वृद्धि कर अपने सीडी रेशियो में तत्काल सुधार लाएं। वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी बैंक ठोस रणनीति बनाकर ऋण जमा अनुपात को न्यूनतम 40 प्रतिशत तक लाएं।बैठक में विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की।जिलाधिकारी ने कहा कि बैंकों द्वारा पात्र लाभार्थियों को समय पर ऋण स्वीकृत किया जाए तथा अपूर्ण फाइलों को विभाग और आवेदक के समन्वय से शीघ्र पूर्ण किया जाए।लीड बैंक प्रबंधकअमर सिंह ग्वाल ने बताया कि वर्ष 2025-26 में 25,008 केसीसी बनाए गए हैं।बैठक में योजनाओं की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।इनमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में 1370 लक्ष्य के सापेक्ष1555 आवेदन प्राप्त और 1078 स्वीकृत हुए।इसी तरह प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना में 12 लक्ष्य के विरुद्ध 23 आवेदन, 12 पर ऋण वितरित,मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 450 लक्ष्य में से 193 आवेदन स्वीकृत, 186 पर ऋण वितरण,मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में 241 में से 182 आवेदन स्वीकृत, पशुपालन विभाग में 1227 आवेदन में से 960 स्वीकृत,दुग्ध उत्पादकों हेतु केसीसी में 178 आवेदन में से 70 स्वीकृत हुए।
मत्स्य पालन विभाग में 23 आवेदन में 22 लंबित,जिन्हें जल्द शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए।जिलाधिकारी ने सभी बैंको को स्पष्ट निर्देश दिए की सभी लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि वित्तीय सशक्तिकरण तभी संभव है,जब योजनाओं की जानकारी अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।





