जानें,सरिता कैसे हुई आत्मनिर्भर
चंपावत।विकासखण्ड लोहाघाट के चिड़ियादूंगा गांव की सरिता देवी ने सरकारी सहायता और अपने परिश्रम से आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है।भूम्या बाबा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सरिता देवी और उनके पति गणेश गिरी पहले मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। पारंपरिक रूप से वे एक बद्री नस्ल की गाय पालती थीं। जिससे करीब एक से दो लीटर दूध ही मिलता था। परिवार की आय सीमित थी।राज्य सरकार की संचालित एवं ग्रामोत्थान परियोजना (IFAD) द्वारा वित्तपोषित योजना ने उनके जीवन में नया मोड़ लाया।
समूह बैठकों के दौरान जब सरिता देवी की आर्थिक स्थिति पर चर्चा हुई तो समूह की सभी महिलाओं ने सर्वसम्मति से उनका नाम अल्ट्रा पुअर योजना के लिए सुझाया। परियोजना टीम ने भौतिक सत्यापन एवं आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद 35 हजार रुपये की ब्याजमुक्त धनराशि उनके खाते में हस्तांतरित की गई। इस धनराशि से उन्होंने एक जर्सी गाय खरीदी, जिसका बीमा भी पशुपालन विभाग के सहयोग से कराया गया।सरिता देवी ने बताया कि जर्सी गाय प्रतिदिन छह-सात लीटर दूध देती है। घर की जरूरत के बाद वह लगभग 5 लीटर दूध 40 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचते है। इससे करीब छह हजार रुपये प्रतिमाह की आय होती है। इसमें चार हजार रुपये शुद्ध लाभ है।”
अब उनकी आर्थिकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है। वह आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं।





