गौरा देवी के जन्म शताब्दी पर विशेषीकृत माई स्टाम्प जारी
चमोली :डाक विभाग उत्तराखंड ने ग्राम रैणी, जोशीमठ, चमोली में चिपको आंदोलन की प्रणेता तथा पर्यावरण संरक्षण की प्रतीक स्वर्गीय गौरा देवी की जन्म शताब्दी पर एक विशेषीकृत माई स्टाम्प (कस्टमाइज्ड माई स्टाम्प) तथा विशेष आवरण जारी किया गया।चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी का जन्म वर्ष, 1925 में जोशीमठ के लाता गांव में हुआ था। विवाह के बाद वह ग्राम रैणी की निवासी बन गईं। मार्च, 1974 में उनके नेतृत्व में रैणी तथा लाता गांव की महिलाओं ने ठेकेदारों से गांव के समीप स्थित जंगलों (जो कि वर्तमान में नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व का हिस्सा है) के पेड़ों को कटने से बचाने के लिए निर्भीकतापूर्वक पेड़ों को गले से लगा लिया।महिलाओं के इस दृढ़ संकल्प के आगे ठेकेदारों को पीछे हटना पड़ा तथा वह वन जिसे महिलाए अपना “मायका” मानती थीं, सुरक्षित बच गया। गौरा देवी के नेतृत्व में चला चिपको आंदोलन हिमालयी पारिस्थितिकी में महिलाओं की सामाजिक चेतना, पर्यावरण न्याय तथा ग्राम्य जीवन पर आधारित आजीविका के अधिकार का सशक्त प्रतीक बना तथा इसने विश्वभर के पर्यावरणीय आंदोलनों को नई दिशा प्रदान की। कार्यक्रम में शनिवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल, लखपत बुटोला, विधायक बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र, स्वर्गीय गौरा देवी के सुपुत्र चंद्र सिंह राणा, शशि शालिनी कुजूर, मुख्य पोस्टमास्टर जनरल उत्तराखंड परिमंडल,अनसूया प्रसाद, निदेशक डाक सेवाएं, उत्तराखंड परिमंडल, डॉ रंजन कुमार मिश्र, प्रमुख वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, पंकज कुमार, निदेशक नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व, सर्वेश दुबे, प्रभागीय वन अधिकारी, बद्रीनाथ वन प्रभाग, महातिम यादव, उप वन संरक्षक, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान आदि मौजूद थे।




