कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में हुए कई प्रस्ताव पास
रुद्रपुर। राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन के अंतिम रविवार को सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जज प्रफुल्ल चंद्र पंत ने कहा कि हमें नई पीढ़ी को कुमाऊंनी सिखाना और उनको अपनी मातृभाषा कुमाऊंनी सिखाना बहुत जरूरी है। इस दौरान कुमाऊंनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह दिलाने आदि आठ प्रस्ताव पास किए गए। प्रस्ताव पास कराकर उत्तराखंड शासन को भेजे जाऐंगे। सम्मेलन में साहित्यकारों ने कुमाऊंनी अधिकाधिक व्यवहार में लाने और पठन-पाठन की संस्कृति को बढा़वा देने पर जोर दिया।यूओयू का कुलपति प्रो. नवीन लोहनी, पंतनगर विवि के पूर्व कुलपति- डॉ. बहादुर सिंह बिष्ट, पंतनगर विवि के प्रो. आनंद सिंह जीना, ऐरीज के वैज्ञानिक मोहित जोशी, एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट, पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एलएम उप्रेती, पैरामाउंट पब्लिक स्कूल भूरारानी के संस्थापक आनंदसिंह धामी, रमेश चंद्र जोशी, केपीएस अधिकारी आदि ने कुमाऊंनी
के विकास और प्रचार-प्रसारपर अपनी बात रखी। उत्तराखंड भाषा संस्थान का प्रभारी निदेशक जसविंदर कौर ने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान उत्तराखंड उत्तराखंड की समस्त भाषाओं के विकास के लिए समर्पित रूप से काम कर रहा है। इस दौरान शंकर दत्त जोशी, शिवदत्त पांडे, कृपाल सिंह शीला को विभिन्न लेखन पुरस्कार योजनाओं में,डॉ. हयात सिंह रावत को ‘बहादुर बोरा श्रीबंधु कथा साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।इस मौके परबहादुर सिंह बिष्ट (दिल्ली), विनोद पंत ( हरिद्वार), कैलाश चंद्र ( देहरादून ), खुशाल सिंह खनी, उदय किरौला, प्रवीण प्रकाश, माया रावत, प्रो. केसी जोशी, हेम पंत आदि मौजूद थे।




