ला नीना का असर भारत, अमेरिका और मध्य एशिया में,इस माह पड़ेगी अधिक ठंड
नई दिल्ली।वर्ष 2025 का दिसंबर ज्यादा ठंडा रहने वाला है। भारतीय मौसम विभाग आईएमडी ने चेतावनी दी है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में कोल्ड वेव (ठंड की लहर) के दिन सामान्य से अधिक होंगे। विभाग के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में चार से पांच अतिरिक्त ठंड के दिन देखने को मिल सकते हैं। सामान्य वर्षों में इन राज्यों में दिसंबर से फरवरी के बीच औसतन चार से छह कोल्ड वेव दिन दर्ज किए जाते हैं।आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा ने बताया कि तीन से पांच दिसंबर के बीच एक और कोल्ड वेव का दौर उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में असर दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बार ठंड का पहला झोंका नवंबर में ही दस्तक दे चुका है, जो मौसम के लिहाज से असामान्य है। मौसम विभाग के अनुसार, जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम और पहाड़ी इलाकों में शून्य डिग्री या उससे नीचे पहुंच जाता है, तो कोल्ड वेव घोषित की जाती है। इसके अलावा, सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट को भी ठंड की लहर की श्रेणी में रखा जाता है।
भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि दिसंबर,2025 से फरवरी, 2026 के बीच मध्य भारत, उत्तर-पश्चिम और तटीय इलाकों में रात का तापमान सामान्य से नीचे या उसके आसपास रह सकता है। वहीं, देश के शेष हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान है। दिन के तापमान (अधिकतम) के मामले में भी अधिकांश इलाकों में सामान्य या उससे कम तापमान देखने को मिलेगा, हालांकि उत्तर-पश्चिम, पूर्वोत्तर और हिमालयी पट्टी के कुछ क्षेत्र सामान्य से अधिक गर्म रह सकते हैं।मौसम विभाग के अनुसार, इस साल ठंड का पहला दौर समय से पहले यानी आठ से अठारह नवंबर के बीच आया था। इस दौरान राजस्थान के उत्तर-पूर्वी, हरियाणा के दक्षिणी, मध्य प्रदेश के उत्तरी, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी और छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्सों में हल्की से लेकर कड़ी ठंड दर्ज की गई। पंद्रह से बीस नवंबर के बीच महाराष्ट्र के उत्तर भीतरी इलाकों में भी तापमान में तेज गिरावट आई और कोल्ड वेव की स्थिति बनी।आईएमडी ने कहा है कि दिसंबर से फरवरी तक कमजोर ला नीना परिस्थितियां बनी रह सकती हैं। आमतौर पर ला नीना के दौरान उत्तरी गोलार्ध में सर्दी ज्यादा कड़ी पड़ती है। इसका असर भारत, अमेरिका और मध्य एशिया जैसे क्षेत्रों में साफ तौर पर दिखाई देता है।मालूम हो कि ला नीना एक क्लाइमेट पैटर्न है जिसमें सेंट्रल और ईस्टर्न पैसिफिक ओशन में समुद्र की सतह का टेंपरेचर एवरेज से ज्यादा ठंडा होता है। इसके असर में तेज ट्रेड विंड्स शामिल हैं, जिससे वेस्टर्न अमेरिका जैसे इलाकों में सूखा पड़ सकता है और ऑस्ट्रेलिया और साउथईस्ट एशिया जैसे इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ आ सकती है। भारत के लिए ला नीना आमतौर पर मॉनसून में ज्यादा बारिश लाता है और इससे सर्दी ज्यादा ठंडी हो सकती है, हालांकि इन असर पर ग्लोबल वार्मिंग और दूसरे फैक्टर्स का भी असर पड़ सकता है।




